वाशिंगटन डी.सी. 3 जून : आदित्य बिड़ला समूह (Aditya Birla Group) के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने संयुक्त राज्य अमेरिका में अपने समूह के विशाल निवेश का खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में उनका कुल संचयी निवेश (cumulative investment) लगभग 15 बिलियन डॉलर का है, जो उन्हें अमेरिका में भारत से सबसे बड़ा निवेशक बनाता है। बिड़ला ने अमेरिका में अपने 16 साल के अनुभव को “बहुत अच्छा” बताया और भविष्य में और निवेश करने की इच्छा व्यक्त की।
मुख्य बातें:
* विशाल निवेश: आदित्य बिड़ला समूह का अमेरिका में कुल $15 बिलियन का संचयी निवेश।
* सबसे बड़ा भारतीय निवेशक: कुमार मंगलम बिड़ला के अनुसार, उनका समूह अमेरिका में भारत से अब तक का सबसे बड़ा निवेशक है।
* सकारात्मक अनुभव: अमेरिका में 16 साल का अनुभव “बहुत अच्छा” रहा।
* भविष्य की योजनाएं: समूह अमेरिका में अपना निवेश और बढ़ाएगा।
* अलबामा में $4 बिलियन का ग्रीनफ़ील्ड प्रोजेक्ट: यह समूह का दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा ग्रीनफ़ील्ड प्रोजेक्ट है।
अमेरिका में निवेश विस्तार की योजना:
कुमार मंगलम बिड़ला ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “अमेरिका में हमारा कुल संचयी निवेश लगभग 15 बिलियन डॉलर का है। हम अमेरिका में भारत से अब तक के सबसे बड़े निवेशक हैं।” उन्होंने आगे कहा कि समूह को यहां 16 साल हो चुके हैं और उनका अनुभव बेहद सकारात्मक रहा है।
बिड़ला ने भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया, “हम आगे भी और निवेश करने की उम्मीद कर रहे हैं। अलबामा में हमारा एक ग्रीनफ़ील्ड प्रोजेक्ट (Greenfield Project) चल रहा है, जो 4 बिलियन डॉलर का निवेश है। यह दुनिया में कहीं भी हमारे द्वारा किया गया अब तक का सबसे बड़ा ग्रीनफ़ील्ड प्रोजेक्ट है।” ग्रीनफ़ील्ड प्रोजेक्ट का मतलब एक नए सिरे से बिल्कुल नई सुविधा का निर्माण होता है, न कि मौजूदा संरचनाओं में बदलाव करना।
भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों का प्रतिबिंब:
आदित्य बिड़ला समूह का यह भारी निवेश भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते आर्थिक संबंधों को दर्शाता है। भारतीय कंपनियां अमेरिका में न केवल पूंजी निवेश कर रही हैं, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा कर रही हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। कुमार मंगलम बिड़ला का यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश संबंधों को और गहरा करने पर जोर दिया जा रहा है। यह भारतीय उद्योग के वैश्विक विस्तार और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के साथ-साथ ‘मेक इन अमेरिका’ जैसी पहलों के पूरक प्रयासों को भी रेखांकित करता है।