क्या मध्य-पूर्व एक ऐसे मुहाने पर खड़ा है, जहां इतिहास खुद को एक खूनी अंदाज़ में दोहराने को तैयार है?
इजरायल के रक्षा मंत्री इज़राइल काट्ज़ ने मंगलवार 17 जून को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई को सीधे तौर पर एक ऐसी चेतावनी दी है, जिसने न सिर्फ तेहरान बल्कि पूरी दुनिया की नींद उड़ा दी है। शब्द सीधे थे, उनका आशय दहला देने वाला: “तुम्हारा हश्र सद्दाम हुसैन जैसा हो सकता है।”
ये सिर्फ कूटनीतिक बयानबाजी नहीं थी। यह एक ऐसी धमकी है, जिसे इजरायल द्वारा खामेनेई को सीधे तौर पर निशाना बनाने की संभावना के सबसे स्पष्ट संकेत के रूप में देखा जा रहा है। एक ऐसा कदम, जो मध्य-पूर्व को अनिश्चितता के एक ऐसे अथाह सागर में धकेल सकता है, जहां से वापसी लगभग नामुमकिन हो।
काट्ज़ ने भले ही यह जोड़कर ‘तकनीकी’ बचाव की जगह छोड़ी हो कि सद्दाम को अंततः उसके अपने ही लोगों ने मारा था, लेकिन संदेश बिल्कुल स्पष्ट था: इजरायल या तो सीधे तौर पर खामेनेई को निशाना बना सकता है, या ऐसे हालात पैदा कर सकता है जिससे उनका पतन हो और ईरान के लाखों विरोधी ही उनके लिए काल बन जाएं।
पहले, प्रधान मंत्री नेतन्याहू भी खामेनेई को खत्म करने की बात कर चुके हैं, खासकर यदि ईरान बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला जारी रखता है। और भले ही अमेरिकी अधिकारियों ने अब तक इजरायल के ऐसे किसी भी कदम पर ‘वीटो’ लगाया हो, इजरायली अधिकारी यह कहने से नहीं हिचकिचाते कि अगर उनके नागरिक ईरानी मिसाइलों से मरते रहे तो वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
तो क्या ये सिर्फ शब्दों का खेल है, या पर्दे के पीछे कोई बड़ी और खूनी बिसात बिछाई जा रही है? क्या ईरान के सुप्रीम लीडर का भविष्य सचमुच इराक के तानाशाह जैसा हो सकता है? और अगर ऐसा होता है, तो दुनिया का क्या होगा?