उत्तर प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का होगा कायाकल्प, सीएम योगी के मार्गदर्शन में बनी व्यापक कार्ययोजना

लखनऊ, 11 जून 2025: उत्तर प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण को सशक्त बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की गई है। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के ढांचे का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया जाएगा। यह प्रस्ताव शासन स्तर पर अनुमोदन के लिए प्रक्रियाधीन है, जिसके लागू होने से राज्य में प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है। इसके साथ ही, UPPCB की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए आवेदन शुल्क संरचना में बदलाव किया जाएगा और कार्यप्रणाली को सरल तथा पारदर्शी बनाने के लिए आईटी एवं एआई तकनीक से युक्त एक पोर्टल भी विकसित किया जाएगा।

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UPPCB के क्षेत्रीय एवं जिला स्तरीय कार्यालय खोलने का प्रस्ताव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में प्रदेश में तीव्र विकास, औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण प्रदूषण में भी वृद्धि हुई है। इसी को ध्यान में रखते हुए, UPPCB को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए विस्तारीकरण और सुदृढ़ीकरण की कार्ययोजना तैयार की गई है। इस योजना के तहत, प्रदेश के सभी मंडल मुख्यालयों और प्रमुख औद्योगिक जिलों में UPPCB के क्षेत्रीय कार्यालयों की स्थापना की जाएगी। साथ ही, शेष जिलों में भी जिला-स्तरीय कार्यालय स्थापित किए जाएंगे, ताकि स्थानीय स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण की निगरानी और प्रबंधन को मजबूत किया जा सके।

इसके अतिरिक्त, ठोस अपशिष्ट, तरल अपशिष्ट (एसटीपी और सीईटीपी), खतरनाक अपशिष्ट, ई-वेस्ट, और बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन के लिए अलग-अलग विशेष सेल का गठन प्रस्तावित है। इन सेलों के माध्यम से अपशिष्ट प्रबंधन को अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाया जाएगा।

प्रदूषण नियंत्रण की नई तकनीकों और समाधानों पर होगा रिसर्च

पर्यावरणीय अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए UPPCB एक समर्पित सेल की स्थापना करेगा, जो प्रदूषण नियंत्रण की नवीन तकनीकों और समाधानों पर कार्य करेगी। साथ ही, पर्यावरणीय जन-जागरूकता और प्रकाशन के लिए भी एक नया सेल गठित होगा, जो जनता को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

UPPCB के वित्तीय संसाधनों को मजबूत करने के लिए आवेदनों की शुल्क संरचना में संशोधन का प्रस्ताव भी शामिल है। वर्ष 2008 में निर्धारित शुल्क में वृद्धि का प्रस्ताव तैयार किया गया है, जो पूंजीगत निवेश और प्रदूषण स्तर के आधार पर निर्धारित होगा। वर्तमान में प्रचलित 12 श्रेणियों के स्थान पर अब केवल 7 श्रेणियों में शुल्क वर्गीकृत किया जाएगा, जिससे प्रक्रिया सरल और पारदर्शी होगी।

एआई-आधारित पोर्टल से सरल और पारदर्शी होगी कार्यप्रणाली

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यप्रणाली को अधिक सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से एक आधुनिक पोर्टल विकसित करने का भी प्रस्ताव है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का समावेश होगा। इस पोर्टल के जरिए औद्योगिक इकाइयां स्वयं अपनी अनुपालन आख्या अपलोड कर सकेंगी। इसके अलावा, सहमति नवीनीकरण और अनुपालन आख्या समय पर जमा करने के लिए उद्योगों को ई-एलर्ट भेजे जाएंगे। निरीक्षण के बाद आख्या को तत्काल अपलोड करने और एआई के माध्यम से स्वयं अनुपालन आख्या की जांच करने की सुविधा भी इस पोर्टल में शामिल होगी।

यह योजना उत्तर प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक नया अध्याय शुरू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। शासन से अनुमोदन के बाद इसके कार्यान्वयन से न केवल पर्यावरणीय प्रबंधन में सुधार होगा, बल्कि औद्योगिक अनुपालन और जन-जागरूकता में भी उल्लेखनीय प्रगति होगी।

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