‘एक राइफल श्रेष्ठ राइफल’: अमेठी की AK 203 असॉल्ट राइफल दिसंबर तक बनेगी स्वदेशी ‘शेर’, सेना को मिलेंगी 6 लाख राइफलें

अमेठी, 18 जुलाई 2025: भारत की रक्षा क्षमताओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, अमेठी स्थित आयुध फैक्ट्री में निर्मित होने वाली अत्याधुनिक AK 203 असॉल्ट राइफल दिसंबर 2025 तक पूरी तरह से स्वदेशी ‘शेर’ बन जाएगी। यह भारत-रूस संयुक्त उद्यम के तहत ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक प्रमुख उदाहरण है, जो भारतीय सेना को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार कर रहा है।

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इंडो-रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक, मेजर जनरल एस. के. शर्मा ने आज इस महत्वपूर्ण परियोजना की प्रगति साझा करते हुए कहा, ”पिछले करीब डेढ़ साल में हमने 48,000 AK 203 राइफलें भारतीय सेना को दे दी हैं। 70,000 राइफलें अगले छह महीने तक भारतीय सेना को मिल जाएंगी, उसके बाद हमारा प्लान अपनी प्रोडक्शन कैपेसिटी को 1 लाख 50 हजार राइफल तक बढ़ाने का है ताकि भारतीय सेना को 2030 तक 6 लाख राइफलें मिल सकें।”

AK 203: ‘आत्मनिर्भर भारत’ का प्रतीक

AK 203 राइफल, AK-47 सीरीज की सबसे उन्नत राइफलों में से एक है, जिसे भारतीय सेना की विशेष जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है। इसका उत्पादन अमेठी में इंडो-रूसी राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) द्वारा किया जा रहा है, जो भारत और रूस का एक संयुक्त उद्यम है। यह परियोजना न केवल भारत की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा कर रही है, बल्कि घरेलू विनिर्माण और तकनीकी हस्तांतरण को भी बढ़ावा दे रही है।

दिसंबर 2025 तक राइफल का पूरी तरह से स्वदेशीकरण हो जाने से भारत को विदेशी निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी और यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत रक्षा विनिर्माण में एक मील का पत्थर साबित होगा।

मेजर जनरल एस. के. शर्मा का यह बयान भारतीय सेना के आधुनिकीकरण और उसकी मारक क्षमता को बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 2030 तक 6 लाख राइफलों की आपूर्ति का लक्ष्य सेना के जवानों को विश्वस्तरीय हथियार उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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