बेंगलुरु, 19 जून: कर्नाटक सरकार द्वारा विभिन्न आवास योजनाओं के तहत अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण को 10% से बढ़ाकर 15% करने के फैसले पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। जोशी ने इस कदम को पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का हवाला दिया और कर्नाटक सरकार पर ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले के खिलाफ भाजपा अदालत का रुख करेगी।
केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी का बयान:
प्रहलाद जोशी ने कर्नाटक सरकार के इस निर्णय की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “…धर्म आधारित आरक्षण पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है, गैर-संवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट ने भी धर्म आधारित आरक्षण को खारिज कर दिया है… इससे OBC, ST और सामान्य जाति के गरीब लोगों का कोटा कम हो जाता है।”
जोशी ने आगे कहा कि कर्नाटक सरकार इस तरह के कदमों से केवल ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया, “मैं इसकी निंदा करता हूं… हम इसके खिलाफ कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाएंगे।”
संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले:
केंद्रीय मंत्री का यह बयान संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 का संदर्भ देता है, जो धर्म, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करते हैं और आरक्षण को सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर ही अनुमति देते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई फैसलों में धर्म आधारित आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है, यह तर्क देते हुए कि आरक्षण का उद्देश्य सामाजिक असमानता को दूर करना है, न कि धार्मिक पहचान के आधार पर लाभ देना।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव:
कर्नाटक सरकार का यह फैसला राज्य में राजनीतिक बहस को और तेज़ कर सकता है। भाजपा इसे कांग्रेस सरकार द्वारा अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने के प्रयास के रूप में देख रही है, जबकि कांग्रेस का तर्क हो सकता है कि यह कदम वंचित समुदायों को सशक्त बनाने के लिए है। इस कदम का ओबीसी, अनुसूचित जाति/जनजाति और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए उपलब्ध सीटों पर सीधा असर पड़ने की आशंका है, जिससे समाज के विभिन्न वर्गों के बीच तनाव बढ़ सकता है। केंद्रीय मंत्री की कोर्ट जाने की चेतावनी के बाद यह मामला कानूनी दायरे में भी चुनौती का सामना करेगा।