लखनऊ, 8 जुलाई 2025: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कानपुर नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. हरिदत्त के 19 जून 2025 के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है। जस्टिस मनीष माथुर की पीठ ने डॉ. हरिदत्त द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।
क्या है मामला?
डॉ. हरिदत्त ने अपने निलंबन आदेश दिनांक 19 जून 2025 को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा ने न्यायालय में तर्क दिया कि डॉ. हरिदत्त को बिना किसी विभागीय जांच या उचित प्रक्रिया का पालन किए पद से हटाया गया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उसी दिन किसी अन्य अधिकारी (विपक्षी पार्टी संख्या 3) को उनके स्थान पर तैनात कर दिया गया था।
हाईकोर्ट की टिप्पणी:
हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की दलीलों में दम पाया। न्यायालय ने टिप्पणी की कि, “निलंबन आदेश बिना विभागीय जांच और सुनवाई के पारित किया गया, जो उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 1999 (UP Govt. Servants (Discipline & Appeal) Rules, 1999) के विरुद्ध है।”
कोर्ट ने यह भी गौर किया कि याचिकाकर्ता को पहले केवल ‘माइनर पेनल्टी’ (लघु शास्ति) के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा गया था, न कि निलंबन के लिए।
अंतरिम आदेश:
इन तथ्यों को देखते हुए, हाईकोर्ट ने 19 जून 2025 के दोनों निलंबन आदेशों (Annexure 1 और 2) पर अगली सुनवाई तक के लिए रोक (स्टे) लगा दी है। न्यायालय ने राज्य सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को इस मामले में चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 18 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है। हाईकोर्ट का यह आदेश प्रशासनिक निर्णयों में प्रक्रियात्मक निष्पक्षता के महत्व को रेखांकित करता है।