प्रयागराज, 8 जुलाई 2025: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya) के खिलाफ दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन पर चुनाव लड़ने के लिए फर्जी शैक्षणिक डिग्री जमा करने का आरोप लगाते हुए आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की एकल पीठ ने 25 मई को सुरक्षित रखे गए अपने आदेश में स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी (Diwakar Nath Tripathi) द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका में लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं है।
क्या था पूरा मामला?
याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया था कि केशव प्रसाद मौर्य ने न केवल अमान्य डिग्री के आधार पर चुनाव में हलफनामा दायर किया, बल्कि उसी के बल पर पेट्रोल पंप भी आवंटित कराया। उन्होंने इस आधार पर मौर्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर विवेचना (जांच) की मांग की थी।
यह मामला पहले जिला अदालत में भी गया था, जहां से इस याचिका को खारिज कर दिया गया था। इसके बाद याचिकाकर्ता दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। हाई कोर्ट द्वारा भी याचिका खारिज होने के बाद, वह सुप्रीम कोर्ट चले गए थे, जिसने हाई कोर्ट को इस मामले की सुनवाई करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही हाई कोर्ट ने इस मामले को फिर से सुना और अब अपना फैसला सुनाया है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस निर्णय को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ इससे पहले भी उनकी शैक्षणिक डिग्रियों को फर्जी बताते हुए कई याचिकाएं दायर की गई थीं। इस फैसले से उन्हें एक बार फिर कानूनी मोर्चे पर क्लीन चिट मिल गई है।