नई दिल्ली, [17 जून ]: थाईलैंड और भारत के बीच गहरे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के उद्देश्य से, थाईलैंड के कार्यवाहक सर्वोच्च धर्मगुरु (Supreme Patriarch) सोमदेत फ्रा थेरायनमुनि के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय थाई भिक्षु प्रतिनिधिमंडल छह दिवसीय यात्रा पर भारत पहुंचा है। इस प्रतिनिधिमंडल में वट देबसिरिंद्रवास के डिप्टी मठाधीश फ्रा कित्तिसरमुनि कुलफोल और थाई बौद्ध संघ के अन्य प्रतिष्ठित सदस्य शामिल हैं। भारत सरकार द्वारा उन्हें ‘स्टेट गेस्ट’ का दर्जा दिया गया है, जो इस यात्रा के महत्व को दर्शाता है।

राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रार्थना और पाली में मंत्रोच्चार:
अपनी भारत यात्रा के पहले दिन, प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय का दौरा किया, जहाँ उन्होंने बुद्ध के पवित्र अवशेषों (Relics shrine) पर प्रार्थना की। इस अवसर पर एक छोटा सा समारोह आयोजित किया गया, जिसमें पाली भाषा में मंत्रोच्चार किया गया। इस दौरान बौद्ध भिक्षुओं ने शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थनाएं कीं, जो भारत और थाईलैंड के साझा बौद्ध विरासत को दर्शाती हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) ने किया आतिथ्य:
इस थाई प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) द्वारा की जा रही है, जो दुनिया भर में बौद्ध धर्म के प्रचार और संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आईबीसी का प्रयास विभिन्न बौद्ध परंपराओं और देशों के बीच समन्वय स्थापित करना है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से मुलाकात:

प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने भारत और थाईलैंड के बीच गहरे और सदियों पुराने संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने साझा सांस्कृतिक विरासत, विशेष रूप से बौद्ध धर्म के माध्यम से जुड़े मजबूत आध्यात्मिक बंधनों को रेखांकित किया। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच पीपल-टू-पीपल संबंधों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
गुजरात में भी जाएंगे प्रतिनिधिमंडल:
अपनी छह दिवसीय यात्रा के दौरान, थाई भिक्षु प्रतिनिधिमंडल गुजरात का भी दौरा करेगा, जहां वे महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों और सांस्कृतिक केंद्रों का अवलोकन करेंगे। इस यात्रा से न केवल धार्मिक संबंध मजबूत होंगे, बल्कि पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा मिलेगा। यह यात्रा भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।