गांधीनगर, गुजरात 27 मई : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में एक कार्यक्रम में लोगों को संबोधित करते हुए सिंधु जल समझौते और भारत की आर्थिक प्रगति पर महत्वपूर्ण बयान दिए। उन्होंने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि भारत सबका भला चाहता है और मुसीबत में मदद भी करता है, लेकिन बदले में “खून की नदियां बहती हैं।”
सिंधु जल समझौते पर उठाए सवाल
प्रधानमंत्री ने 1960 के सिंधु जल समझौते की बारीकियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह समझौता चौंकाने वाला था। उन्होंने बताया कि इस समझौते में जम्मू-कश्मीर की अन्य नदियों पर बने बांधों की सफाई का काम न करने और उनके गेट न खोलने तक का प्रावधान था। मोदी ने कहा, “60 साल तक गेट नहीं खोले गए। जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था धीरे-धीरे उसकी क्षमता कम हो गई। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या?”
उन्होंने आगे कहा कि भारत ने अभी कुछ “ज्यादा किया नहीं है” और वहां (पाकिस्तान में) “पसीना छूट रहा है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत ने सिर्फ सफाई शुरू की है और इतने से ही वहां बाढ़ आ जाती है। यह बयान सिंधु जल समझौते के तहत भारत के अधिकारों के उपयोग और पाकिस्तान को मिलने वाले जल प्रवाह पर भारत की संभावित रणनीति की ओर इशारा करता है।
भारत की आर्थिक प्रगति का उल्लेख
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के 11 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भी बात की। उन्होंने याद दिलाया कि 26 मई 2014 को उन्होंने पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उस समय भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में 11वें स्थान पर थी।
मोदी ने कहा, “हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेलीं, प्राकृतिक आपदा भी झेली इसके बावजूद इतने कम समय में हम 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था से चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था बने। क्योंकि हम विकास चाहते हैं, प्रगति चाहते हैं।” उन्होंने यह बयान अपनी सरकार की आर्थिक नीतियों और चुनौतियों के बावजूद हासिल की गई उपलब्धियों को उजागर करने के लिए दिया।