प्रयागराज : 30 अप्रैल 2025, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महोबा के पूर्व पुलिस अधीक्षक (एसपी) मणिलाल पाटीदार की ज़मानत अर्जी खारिज कर दी है। पाटीदार पर महोबा के एक विस्फोटक व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी से रिश्वत मांगने, मानसिक उत्पीड़न करने और आत्महत्या के लिए उकसाने का गंभीर आरोप है। न्यायमूर्ति राजबीर सिंह की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया।
क्या है पूरा मामला?
एफआईआर के अनुसार, इंद्रकांत त्रिपाठी विस्फोटक व्यवसाय से जुड़े थे और उनके पास वैध लाइसेंस था। वे कई फर्मों में भागीदार भी थे। आरोप है कि उनके प्रतिद्वंदी व्यापारियों — अजय सोनी और ब्रह्मानंद — ने जून 2020 में मणिलाल पाटीदार से मिलकर त्रिपाठी पर ₹6 लाख प्रति माह रिश्वत देने का दबाव बनाया। इंद्रकांत के मना करने पर उन्हें झूठे मामलों में फंसाने और जान से मारने की धमकी दी गई।
त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री तक शिकायत भेजी और सोशल मीडिया पर भी अपनी पीड़ा साझा की। 8 सितंबर 2020 को वह अपनी कार में गले में गोली लगने की हालत में मिले और इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
पुलिस जांच और कानूनी कार्रवाई
पुलिस जांच में यह सामने आया कि इंद्रकांत ने लगातार प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या की। इसके बाद पाटीदार समेत अन्य के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने, आपराधिक षड्यंत्र और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।
पक्ष-विपक्ष की दलीलें
पाटीदार के वकील ने कहा कि वह एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं और उनके खिलाफ पहले कभी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं रहा। उनका दावा था कि मृतक से रिश्वत लेने या आत्महत्या के लिए उकसाने के कोई ठोस सबूत नहीं हैं।
वहीं, अपर महाधिवक्ता व वरिष्ठ अधिवक्ता आई. के. चतुर्वेदी ने ज़ोर देकर कहा कि मृतक पूर्व में पाटीदार को नियमित रूप से रिश्वत देता था, लेकिन कारोबार में घाटे के कारण जब रकम देना बंद कर दी, तो उसे झूठे मामलों में फंसाकर प्रताड़ित किया गया।
हाईकोर्ट का फैसला
कोर्ट ने कहा कि मामले के तथ्यों और साक्ष्यों की गहन जांच ट्रायल कोर्ट द्वारा की जानी चाहिए। वर्तमान परिस्थितियों में पाटीदार को जमानत दिए जाने का कोई औचित्य नहीं बनता। अतः ज़मानत याचिका खारिज कर दी गई।