क्या वसुंधरा राजे सिंधिया को Modi की Guarantee नहीं ? यह सवाल राजस्थान में चुनाव नतीजे आने के बाद से राजनीतिक गलियारों में गूंज रहा है ।
राजस्थान में 199 सीटों में से 115 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत पाने वाली भाजपा के लिए अब मुख्यमंत्री कौन ? का पेचीदा सवाल हल करना भी आसान नहीं है । मीडिया में और राजनीतिक पंडितों के बीच कई नाम चर्चा में हैं,उनमें से एक नाम राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया का भी है । मीडिया में ज़ोर से उनका नाम गूंज रहा है ।
क्या सिंधिया मुख्यमंत्री होंगी ? क्या वसुंधरा राजे को Modi की Guarantee है ? इस सवाल के जबाब से पहले कुछ तथ्यों को समझने की कोशिश करते हैं ।
2018 की राजस्थान की हार किसकी हार थी ? वसुंधरा राजे की ? या BJP पार्टी की ?
कुछ लोगों को आज भी याद होगा कि 2018 में BJP 163 सीट से 73 सीट पर लुढ़क कर किसके नेतृत्व में आई थी ? वसुंधरा राजे सरकार की 2018 में करारी हार हुई थी,उस समय एक नारा पूरे राजस्थान चुनाव में सुनाई पड़ता था ” वसुंधरा तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं ” । चूंकि उस साल भी विधानसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद ही लोकसभा के आम चुनाव होने थे तो लोग मोदी के प्रति और BJP के प्रति तो एकजुटता दिखा रहे थे लेकिन वसुंधरा राजे के प्रति वो अपना गुस्सा जाहिर कर रहे थे । उसी गुस्से के कारण विधानसभा में वसुंधरा राजे की करारी हार हुई थी ।
2018 विधानसभा की हार के बाद 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान की जनता ने BJP और मोदी को अपना प्रचंड समर्थन देते हुए 25 में से 24 सीटें दे दीं,सिर्फ नागौर की एक सीट राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक पार्टी को दी । जो निश्चित तौर पर यह प्रमाणित करता है कि 2018 की हार के लिए अगर कोई जिम्मेदार था तो वो सिर्फ वसुंधरा राजे थीं ।
2018 से 2023 तक गहलोत सरकार के दौरान विपक्ष को किसने Lead किया ?
लोकतन्त्र में विपक्ष की ज़िम्मेदारी भी कम नहीं होती उसे हमेशा सरकार को आईना दिखाना होता है, सरकार की गलत नीतियों का विरोध करना होता है सदन के अंदर भी और सदन के बाहर भी । कभी कभी तो जब सरकार नहीं सुनती है तो जनता की आवाज में आवाज मिलाते हुए जनता के साथ संघर्ष भी करना पड़ता है ।
विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के बाद की बात अगर छोड़ भी दें तो वसुंधरा राजे जनता के संघर्ष में कब और कितना आगे आयीं यह तो राजस्थान की जनता ने भी देखा है ।
पायलट के विद्रोह के बाद भी जब गहलोत सरकार बच गई तो आरोप यह भी लगे थे कि गहलोत सरकार बचाने में BJP की ही एक नेत्री आगे थीं । वो BJP नेत्री कौन थी यह राजस्थान की जनता को भी मालूम है और BJP आलाकमान को भी ।
यह Mandates या जनादेश Modi Guarantee का या वसुंधरा राजे का ?
2018 के विधान सभा चुनाव में जिस जनता ने वसुंधरा राजे को नकार दिया उस जनता के लिए महारानी ने विगत 5 सालों में ऐसा क्या कर दिया जो राजस्थान की जनता अब उन पर प्यार लुटा कर उनके सर पर ताज पहनाने के लिए वोट कर देगी ?
यह चुनाव बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के लड़ा गया । मोदी और Modi Guarantee ही इसका चेहरा थी और पूरी BJP पार्टी सामूहिक रूप से यह चुनाव लड़ रही थी । वसुंधरा राजे की इस लिहाज से कोई दावेदारी बनती है ? नहीं बिलकुल भी नहीं बनती ।
Dinner Culture और Pressure Politics तो BJP के लिए गलत संदेश
विधान सभा के रिजल्ट आने के अगले दिन रात को ही कुछ विधायकों को वसुंधरा के दरबार में हाजिरी लगाते देखा गया । मीडिया रिपोर्ट की अगर मानें तो इन विधायकों की संख्या 20 के आसपास थी । कहा ये गया कि ये विधायक अपने आप वसुंधरा राजे को बधाई देने आए लेकिन हकीकत इससे कुछ अलग भी हो सकती है । हो सकता है कि विधायक दल की बैठक के पहले या संसदीय दल की बैठक से पहले यह वसुंधरा राजे की दबाब बनाने की रणनीति हो ।
BJP में डिनर राजनीति या दबाब बनाने की राजनीति कभी काम नहीं आई और आज मोदी और अमित शाह की BJP में यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है ।
कौन बनेगा मुख्यमंत्री ?
कौन बनेगा राजस्थान का मुख्यमंत्री ये BJP आलाकमान एक दो दिन में तय कर लेगा और आम जनता को पता भी चल जाएगा । मुझे लगता है BJP फिर से SURPRISE करेगी जैसे उसने उत्तर प्रदेश में योगी को बना कर हरियाणा में खट्टर को बनाकर असम में हिमन्त विस्वशर्मा को बना कर किया ।
हमें महाराष्ट्र का भी उदाहरण नहीं भूलना चाहिए जब लग रहा था फनवीस सपथ लेंगे लेकिन घोषणा शिंदे की हुई ।
राजस्थान में कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया को Modi की Guarantee है इसमें संदेह है । मुझे नहीं लगता उनको मोदी की Guarantee है ।
ये तीर है या तुक्का ? वक्त बताएगा