सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा)

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया !

02 अगस्त लखनऊ ; सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्ट्रीय महासचिव अरूण राजभर ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण में अधिक पिछड़ी जातियों को अलग कोटा देने को मान्यता दिए जाने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि एससी-एसटी की तरह ओबीसी आरक्षण में भी सर्वाधिक पिछड़ी जातियों को अलग कोटा दिए जाने पर भी विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एससी-एसटी में ऐसी जातियां हैं जो सदियों से उत्पीड़न का सामना कर रही हैं। डॉ बीआर अंबेडकर के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्यों का कर्तव्य है।

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एससी-एसटी के अंतर्गत ऐसी श्रेणियां हैं जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें कैटिगरी में बांटा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। यह एससी-एसटी को उप वर्गीकरण की अनुमति देता है।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने फैसले पर खुशी जताई :

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के महासचिव अरूण राजभर ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा है कि इस फैसले से पिछड़ी जातियों में अत्यधिक पिछड़ी व सर्वाधिक पिछड़ी जातियों का कोटा भी अलग करने का समय आ गया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इसके लिए अपनी स्थापना के समय से लड़ाई लड़ रही है।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) की मांग पर 2018 में जस्टिस राघवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी। प्रदेश की सरकार को रिपोर्ट को तत्काल लागू करने की पहल करनी चाहिए। ताकि अतिपिछड़ों और अतिदलितों को न्याय मिल सके और इनकी भी सभी क्षेत्रों में भागीदारी सुनिश्चित हो सके। 27% आरक्षण में ओबीसी वर्ग में कुछ विशेष समुदाय आरक्षण की सुविधा पर पूरी तरह काबिज हो गए।वही 22.5%

दलित आरक्षण में दलित वर्ग में कुछ विशेष समुदाय आरक्षण की सुविधा पर पूरी तरह काबिज हो गए। उससे मुक्ति मिले। जिसकी वजह से इसका लाभ समान रूप से सभी समुदायों को नहीं पहुंच रहा है। आरक्षण की सुविधा लेकर एक ऐसा संपन्न वर्ग विकसित हो गया, जिसने आरक्षण की सभी सुविधाएं अपने तक केन्द्रित कर ली हैं। जो रोटी मिल बांट का खानी थी, उसको उसी वर्ग के कुछ विशेष समुदायों ने अकेले खा लिया, और अन्य समुदाय सामाजिक न्याय से वंचित रह गए।

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