आम आदमी की गाड़ी में मिलावटी पेट्रोल या डीज़ल मिल जाए, तो शिकायतें होती हैं। लेकिन जब बात मुख्यमंत्री के काफिले की हो, और उनकी 19 गाड़ियां अचानक बीच रास्ते में ‘दम तोड़’ दें, तो सवाल उठना लाज़मी है। एक प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ कुछ ऐसा ही हुआ, जिसने प्रशासन से लेकर जनता तक को सकते में डाल दिया है। क्या यह सिर्फ एक लापरवाही थी, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश छिपी है?
सड़क पर ठप हुए ‘VVIP’ वाहन, हिल गया पूरा प्रशासन!
मुख्यमंत्री मोहन यादव के रतलाम दौरे की तैयारियां ज़ोरों पर थीं। उनके काफिले में शामिल होने वाली लगभग 19 गाड़ियां भोपाल से इंदौर होकर रतलाम पहुंची थीं। तय कार्यक्रम के अनुसार, इन गाड़ियों को डोसीगांव स्थित एक पेट्रोल पंप से डीज़ल भरवाना था। लेकिन जैसे ही गाड़ियां डीज़ल लेकर कुछ दूर आगे बढ़ीं, एक-एक करके ‘हिचकोले’ लेने लगीं और फिर वहीं सड़क पर खड़ी हो गईं! यह नज़ारा देख कर मौके पर मौजूद अधिकारियों के होश उड़ गए।
डीज़ल टैंक में निकला ‘पानी’! क्या बड़ी चूक या जानबूझकर की गई ‘गड़बड़’?
शुरुआती जांच में जो सामने आया, वह और भी चौंकाने वाला था। गाड़ियों के डीज़ल टैंक खोले गए, तो उसमें डीज़ल के बजाय पानी की मिलावट पाई गई! यह खबर आग की तरह फैली। आनन-फानन में उस पेट्रोल पंप को सील कर दिया गया, जहां से इन गाड़ियों में ‘मिस्ट्री फ्यूल’ भरा गया था। खाद्य विभाग के अधिकारियों ने भी डीज़ल में मिलावट की पुष्टि की है।
सवाल यह है कि मुख्यमंत्री जैसे VVIP के काफिले के साथ ऐसा कैसे हो सकता है? क्या यह पेट्रोल पंप की लापरवाही थी, या किसी ने जानबूझकर इतनी बड़ी ‘गड़बड़’ की, जिससे मुख्यमंत्री की सुरक्षा और कार्यक्रम दोनों प्रभावित हो सकते थे? यह घटना सरकारी कार्यक्रमों में सुरक्षात्मक उपायों की अहमियत को उजागर करती है, और साथ ही इस बात पर भी सोचने पर मजबूर करती है कि आम जनता को किस तरह के मिलावटी ईंधन का सामना करना पड़ता होगा।
प्रशासन अब इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है। क्या इस ‘मिस्ट्री फ्यूल’ के पीछे का राज़ खुलेगा? क्या किसी बड़ी साजिश का पर्दाफाश होगा, या यह केवल एक पेट्रोल पंप की गंभीर लापरवाही साबित होगी? रतलाम से लेकर भोपाल तक, हर कोई इस घटना के पीछे के सच का इंतज़ार कर रहा है।