नई दिल्ली: दिल्ली की हवा को साफ करने के लिए लाए गए एक कड़े नियम पर दिल्ली सरकार ने फिलहाल रोक लगा दी है। यह फैसला लाखों दिल्लीवासियों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो इस नियम के विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। क्या यह जनता की जीत है, या प्रदूषण से निपटने की लड़ाई में एक कदम पीछे हटना?
पुरानी गाड़ियों पर ‘नो फ्यूल’ नियम को जनता ने कहा ‘नो’!
CAQM (कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट) का निर्देश संख्या 89, जो 1 जुलाई 2025 से लागू होने वाला था, दिल्ली में “एंड-ऑफ-लाइफ” (EOL) यानी पुरानी हो चुकी गाड़ियों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन लेने से रोकने वाला था। इस नियम का मकसद सड़कों से प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाना था।
लेकिन इस नियम के लागू होने से पहले ही दिल्ली के लाखों वाहन मालिकों में भारी रोष था। उनका तर्क था कि बिना उचित वैकल्पिक व्यवस्था और तकनीकी तैयारियों के इस नियम को लागू करना अव्यावहारिक और अन्यायपूर्ण होगा। जनता के इस विरोध का असर अब दिखाई दे रहा है।
पर्यावरण मंत्री ने लिखा पत्र, जनता के विरोध को मिली ‘आधिकारिक’ आवाज़!
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जनता के इस विरोध को आधिकारिक आवाज़ दी है। उन्होंने CAQM को पत्र लिखकर इस नियम के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि “तकनीकी विसंगतियों और पड़ोसी राज्यों के साथ एकीकरण की कमी” के कारण यह “अत्यंत जटिल प्रणाली” सार्वजनिक असंतोष और परेशानी पैदा कर सकती है।
सिरसा ने अपने पत्र में लिखा, “हम आयोग से आग्रह करते हैं कि निर्देश संख्या 89 के कार्यान्वयन को तत्काल प्रभाव से तब तक रोका जाए जब तक कि ANPR प्रणाली पूरे NCR में निर्बाध रूप से एकीकृत न हो जाए।” यह सीधे तौर पर उन लाखों लोगों की मांग को दर्शाता है जो इस नियम से प्रभावित होने वाले थे।
क्या तकनीकी खामियां सिर्फ बहाना हैं, या जनता का दबाव असली वजह?
मंत्री ने अपने पत्र में ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) कैमरों में “तकनीकी गड़बड़ियां, गलत प्लेसमेंट, सेंसर का काम न करना और पड़ोसी राज्यों के डेटाबेस के साथ ANPR सिस्टम का पूरी तरह से एकीकृत न होना” जैसी समस्याओं का भी जिक्र किया है।
हालांकि, यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या ये तकनीकी खामियां सिर्फ एक बहाना हैं, या जनता का भारी विरोध ही इस फैसले के पीछे की असली वजह है? दिल्ली सरकार ने यह भी दोहराया है कि वह वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है और उसके बहु-आयामी प्रयास जारी रहेंगे।
अब देखना यह होगा कि CAQM इस मांग पर क्या फैसला लेता है। क्या यह जनता की जीत है जो प्रदूषण नियंत्रण के कड़े नियम को टालने में सफल रही, या यह प्रदूषण से लड़ने की दिल्ली की मुहिम को कमजोर करेगा? दिल्ली के लाखों वाहन मालिकों और स्वच्छ हवा की उम्मीद लगाए बैठे नागरिकों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है।