मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट द्वारा अपराधिक घटनाओं में फॉरेंसिक की भूमिका और संभावनाओं पर चर्चा के लिए आयोजित किया जा रहा सेमिनार

लखनऊ, 24 नवंबर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जीरो टॉलरेंस नीति के तहत अपराध और अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए कई स्तरों पर काम किया जा रहा है। इसमें उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज की भूमिका भी बेहद अहम है, जो अपराध और अपराधियों की फॉरेंसिक जांच के माध्यम से साक्ष्य जुटाकर सजा दिलाने के महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम दे रहा है।

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ऐसे में सीएम योगी के निर्देश पर इंस्टीट्यूट की ओर से विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है, जिसमें अपराधिक घटनाओं में फॉरेंसिक की भूमिका को और अधिक सशक्त बनाने के साथ ही भविष्य में इसकी और अधिक उपयोगिता को लेकर चर्चा की जा रही है।

इसी क्रम में इंस्टीट्यूट की ओर से संविधान दिवस-23 के अवसर पर निष्पक्ष सुनवाई एवं विधिक सहायता के लिए अधिकारों को सक्षम बनाने में फॉरेंसिक एड की भूमिका, चुनौतियों, संभावनाओं और भविष्य पर कई विशेषज्ञ चर्चा करेंगे। सेमिनार का आयोजन रविवार को पुलिस मुख्यालय गोमतीनगर स्थित चंद्रशेखर आजाद प्रेक्षागृह में किया जाएगा।

इलाहाबाद हाईकोर्ट लखनऊ बेंच के वरिष्ठ न्यायाधीश रखेंगे अपने विचार

उत्तर प्रदेश स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज के निदेशक डॉ. जीके गोस्वामी ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप अपराधिक घटनाओं में फॉरेंसिक की भूमिका को और अधिक सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं ताकि साक्ष्यों के अभाव में अपराधी कोर्ट से बरी न हो सकें।

ऐसे में सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के वरिष्ठ न्यायाधीश अताऊ रहमान मसूदी मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे जबकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायाधीश राजीव सिंह, डीजीपी विजय कुमार, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में मौजूद रहेंगे।

इसके अलावा सेमिनार में विशिष्ट अतिथि विशेष पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था प्रशांत कुमार, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ऑफ लॉ, एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर प्रो. अनूप सुरेंद्र नाथ एवं सीईओ एंड फॉउंडर यूपीबिल्ड ग्लोबल इंक, यूएसए उपेंद्र गिरि मौजूद रहेंगे। सेमिनार से फॉरेंसिक से संबंधित प्रयासों से संस्थान के छात्रों का सर्वांगीण विकास होगा तथा उन्हें सामाजिक-कानूनी अधिकारों एवं कर्तव्यों के बारे में जानकारी प्राप्त होगी।

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