वैसे तो बरसात में सभी सब्जियाँ मंहगी हो जाती हैं लेकिन जिसे गरीबों की सब्जी कहा जाता है वो आलू भी पेरिस ओलंपिक को देख लंबी उछाल भर रहा है ।
एक और कहावत इस बार आलू के भाव देख चरितार्थ हो रही है कि कभी ना कभी सभी के दिन बहुरते हैं, किसी किसी सीजन में या तो आलू खेत से ही किसान के घर नहीं पहुंचता क्योंकि किसान की लागत भी आलू से नहीं निकलती और उसकी खुदाई की लेबर भी किसान को देनी भारी पड़ती है तो वह आलू को खेत में ही छोड़ देता है ।
कभी अगर किस्मत से आलू की कीमत खुदाई के समय ठीक हुई तो किसान उसे कोल्ड स्टोरेज तक पहुंचा देता है लेकिन जब आलू निकालने का समय आता है और उस समय अगर आलू के भाव गिर गए तो किसान कोल्ड स्टोरेज में ही आलू को बेसहारा छोड़ देता है,तब कोल्ड स्टोरेज मालिक उसे सड़क पर फिकवा देते हैं ।
इस बार आलू के भावों ने दांतों में उँगलियाँ दबाने पर मजबूर कर दिया है लगता है इस बार उसे कोई गरीबों की सब्जी नहीं कह सकता, हो सकता है एक दिन वो सेव से टक्कर ले ले ।

चलिये अब खबर पर आते हैं,खबर पश्चिम बंगाल से है,कलकत्ता से BJP विधायक अग्निमित्रा पॉल ने घोषणा करते हुए कहा “हम विधायक हैं, लेकिन आज हमने अपना पेशा बदलने के बारे में सोचा, एक दिन हमने बंगाल के गरीब लोगों को 10 रुपये में आलू बेचने के बारे में सोचा है, क्योंकि गरीब लोगों के पास कोई काम नहीं है, युवा राज्य छोड़कर दूसरे राज्यों में जा रहे हैं।”
उन्होने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए आगे कहा “केरल के वायनाड में बहुत से लोगों की मौत हो गई जो बंगाल से वहां काम के लिए गए थे। एक महीने पहले ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि सभी अधिकारियों को वहां जाना होगा और कीमत कम करनी होगी। एक महीना बीत गया, कुछ नहीं हुआ। ये सब नाटक है, वे बहुत अच्छी अदाकारा है, वे हर महीने किसी मुद्दे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करती हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं होता।”
अग्निमित्रा ने कलकत्ता में बिचौलियों पर दोष मढ़ते हुए आरोप लगाया ” मुख्य समस्या बिचौलिए हैं, बिचौलिए सारा पैसा ले लेते हैं… एक नहीं बल्कि 2-3 बिचौलिए हैं, सभी टीएमसी कैडर हैं, वो सारा पैसा ले लेते हैं। इसलिए जब तक कोई समाधान नहीं निकलता, हम 10 रुपये में आलू बेच रहे हैं।”