Media Literacy

Media Literacy: The Essential Skill for Navigating the 21st Century : मीडिया साक्षरता आज के युग की बुनियादी जरूरत !

Media Literacy : किसी ज़माने में नारा लगता था रोटी, कपड़ा और मकान, मांग रहा है हिंदुस्तान जो की बुनियादी जरूरत थी पर इस डिजिटल युग में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ साथ मीडिया भी हमारी बुनियादी ज़रूरत बन चुका है। अगर यह कहें कि मीडिया आज हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुका है तो यह गलत नहीं होगा।

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राजा हो या रंक, बच्चा, बूढ़ा, जवान, गृहस्थ हो या सन्यासी, मीडिया के बिना किसी का भी काम नहीं चलता। ऐसे में मीडिया सजगता या दूसरे शब्दों में कहें तो Media Literacy अनिवार्य बन जाती है तभी इसे मीडिया के विद्वानों द्वारा 21वीं सदी की इसेंशियल लिट्रेसी का दर्ज़ा दिया गया है और यूनाइटेड नेशन ने इसे मानव अधिकार में शामिल किया है।

Media Literacy Meaning : मीडिया साक्षरता क्या होती है ?

मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक  है कि Media Literacy या मीडिया साक्षरता है क्या, और यह किस तरह से लोगों की मदद करती है। Media Literacy की बहुप्रचलित परिभाषा के अनुसार – ‘सही समय पर सही सूचनाओं को हासिल करना, उनका विश्लेषण करना, खबरों का तर्कपूर्ण मूल्यांकन एवं साथ ही खुद भी विभिन्न तरह के मीडिया चैनलों जैसे ब्लॉगिंग, रील्स, पॉडकास्ट, मीम्स, वीडियो आदि मीडिया कंटेंट को जिम्मेदारी के साथ प्रस्तुत करना ही’ Media Literacy या मीडिया साक्षरता है ।

क्यों आवश्यक है Media Literacy ?

आज मीडिया का दखल हमारी जिंदगी में बहुत बढ़ गया है, इसकी पहुंच हमारे घर के ड्राइंगरूम में लगी टीवी से लेकर हमारे मोबाइल फ़ोन के ज़रिए हमारे बेड रूम तक हो गई है। टीवी, रेडियो, अखबारों, सोशल मीडिया, विज्ञापन आदि के ज़रिए हम पर लगातार सूचनाओं की बमबारी हो रही है। बच्चों और युवाओं का अधिकांश समय सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग में बीत रहा है।

डिजिटल दुनियां इतनी आकर्षक है कि इसकी चकाचौंध ने लगभग हर वर्ग के लोगों को प्रभावित किया है ख़ासतौर से बच्चों और युवाओं को। नतीजा आज के बच्चे और युवाओं का वर्चुअल वर्ल्ड से जुड़ाव और रियल वर्ल्ड से अलगाव दिखाई देना शुरू हो गया है, उनका स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है, वो काउच पोटैटो बन कर लगातार मोबाइल, टीवी, लैपटॉप, या टैबलेट की स्क्रीन पर घंटों आंखें गड़ाए रहते हैं जिससे उन्हें कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है।

बच्चों और युवाओं का अटेंशन स्पैन घटा है, उनमें टेक्नो स्ट्रेस बढ़ा है। अमेरिका के एक सर्वे में पाया गया है कि जेन ज़ी के युवा दिन भर में केवल 38 मिनट ही दूसरो को दे पाते हैं क्योंकि उनका अधिकांश समय सोशल मीडिया पर बीतता है।

डिजिटल दुनियां के तौर तरीकों और साइबर सुरक्षा को बखूबी न जानने की वजह से डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले लोग बड़ी संख्या में साइबर फ्रॉड और साइबर क्राइम का शिकार हो रहे हैं। फेक न्यूज, प्रोपेगंडा, राजनैतिक दलों के आईटी सेल्स द्वारा फैलाया जा रहा झूठ का मकड़ जाल एक अलग तरह की ही समस्या है।

बहुत लाभकारी भी है Social और Digital Media :

मीडिया और डिजिटल मीडिया के महज़ नुक्सान ही नुक्सान हैं इसके फायदे भी अनगिनत हैं जैसे अगर आप न्यू मीडिया स्किल्स से वाकिफ हैं, क्रिटिकल थिंकिंग को अपनाते हैं, तर्कपूर्ण नज़रिया रखते हैं तभी आप मीडिया के अनगिनत लाभ उठा सकते हैं।

आप इसका इस्तेमाल शिक्षा, व्यापार, देश दुनियां के लोगों से जुड़ने के लिए, कम्युनिटी मीडिया के रूप में, ऑनलाइन बैंकिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, ई मार्केटिंग जैसे तमाम क्षेत्रों में कर सकते हैं वरना तो अधिकांश लोगों के लिए मीडिया सिर्फ मनोरंजन का साधन बनकर रह गया है।

मीडिया का बेहतर इस्तेमाल अपने और समाज के हित में कैसे करें साथ ही इसके नुकसानों से कैसे बचें और सतर्क रहें इसमें  Media Literacy हमारी मदद करती है। मीडिया के प्रति हमें सजग बनाने में  Media Literacy हमारी कैसे मदद करती है इस बारे में आगे चर्चा होगी।

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