मीडिया साक्षरता डिजिटल युग की बुनियादी जरूरत है : आम नागरिक की ज़िन्दगी एवं समाज में मीडिया के बढ़ते दखल को देखते हुए CIET-NCERT द्वारा भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC), नई दिल्ली के सहयोग से विद्यार्थियों, शिक्षकों, शोधार्थियों एवं आम नागरिकों के लिए “मीडिया एवं सूचना साक्षरता” पर 26 अगस्त से लेकर 30 अगस्त, २०२४ तक पांच दिवसीय ऑनलाइन ट्रेनिंग सत्र का आयोजन किया गया है ।
इस पांच दिवसीय ट्रेनिंग सत्र का दूसरा दिन “मीडिया साक्षरता: योग्यता एवं कौशल” विषय पर आधारित था, इस सत्र की ट्रेनर मीडिया लिटरेसी एक्सपर्ट, विकास टाइम्स की कंसल्टिंग एडिटर एवं मीडिया डिक्शनरी इनिशिएटिव की संस्थापक डॉ. भावना पाठक थी. ट्रेनिग सत्र का वीडियो भी लेख के अंत में उपलब्ध है जो पाठक देखना चाहें वो देख सकते हैं ।

मीडिया को बेहतर ढंग से समझने के लिए मीडिया साक्षरता आवश्यक :
एक घंटे चले इस ऑनलाइन ट्रेनिंग सेशन में डॉ. भावना पाठक ने बताया कि- मीडिया साक्षरता की ज़रुरत हमें मीडिया को बेहतर ढंग से जानने और समझने, सूचनाओं का आलोचनात्मक ढंग से विश्लेषण करने के साथ साथ खुद भी एक सक्रिय “प्रोज़्यूमर” बनने के लिए है ।
डॉ पाठक ने कहा आज के समय में मीडिया सर्व शक्तिमान बन गया है. मीडिया का काम हमें सिर्फ सूचना देना, शिक्षित करना या हमारा मनोरंजन करना ही नहीं है बल्कि जनमत निर्माण, एजेंडा सेटिंग, प्रोपगंडा में भी मीडिया बड़ी भूमिका निभाता है. ख़बरों के साथ साथ ख़बरों के स्रोतों पर भी नज़र रखना ज़रूरी है.
जब भी आप किसी सूचना को ग्रहण करें तो कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें जैसे- ख़बरों की मल्टीसोर्सिंग करें यानि किसी एक चैनल, एक अखबार या एक ही सोर्स पर आँख मूंदकर भरोसा न करें, ये देखें कि सूचना में किसी तरह का कोई पक्षपात तो नहीं है, खबर की भाषा कैसी है, खबर के तथ्यों के साथ खिलवाड़ तो नहीं किया गया, फैक्ट में फिक्शन तो नहीं मिलाया गया, न्यूज़ पूरी तरह से न्यूज़ है या उसमें व्यूज या ओपिनियन का भी तड़का लगाया गया है ।
जिस सोर्स से आप खबर ग्रहण कर रहे हैं उसका स्वामित्त्व यानि ओनरशिप किसके पास है, उस मीडिया संस्थान की अपनी पालिसी लाइन क्या है, खबर में क्या बताया गया है और क्या छुपाया गया है, ख़बरों का प्रेजेंटेशन कैसा है- भावनात्मक, आलोचनात्मक या फिर पक्षपातपूर्ण, ये सब भी देखने की ज़रुरत है.
मीडिया साक्षरता के तीन प्रमुख बिन्दु :
डॉ. भावना पाठक ने मीडिया साक्षरता शिक्षा के तीन प्रमुख अभिविन्यासों पर भी प्रकाश डालते हुए कहा कि- समय और तकनीक के साथ साथ मीडिया साक्षरता शिक्षा के अभिविन्यासों में भी बदलाव आया है. जिस वक़्त टीवी का बोलबाला था और टीवी के नकारात्मक प्रभाव समाज में देखने को मिल रहे थे ।
खासतौर से हिंसात्मक कंटेंट का युवा और बच्चों पर बुरा असर हो रहा था उस समय मीडिया स्कोलर्स को लगा कि बच्चों और युवाओं को टीवी के नकारात्मक प्रभाव से बचाने के लिए हमें उन्हें इस तरह के कार्यक्रमों को देखने से रोकना होगा, इसलिए उस वक़्त संरक्षण अभिविन्यास प्रचलन में था, उसके बाद प्रचारात्मक अभिविन्यास चर्चा में आया और आज जोर सहभागिता अभिविन्यास पर है इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि आज संरक्षण या रोक संभव नहीं है ।
बच्चों को मीडिया साक्षरता की ट्रेनिंग दें :
आज हर बच्चे के हाथ में मोबाइल है, मोबाइल में इन्टरनेट है इसलिए बेहतर होगा कि हमें उन्हें इस बात की ट्रेनिंग दें कि आखिर उसका इस्तेमाल कैसे करना है ताकि वो रील लाइफ और रियल लाइफ में सामंजस्य बैठा पाएं, मीडिया का संतुलित इस्तेमाल करें, हेल्दी मीडिया डाइट लें, अपने स्क्रीन टाइम पर नज़र रखें, टेक्नो-स्ट्रेस से बचें ।
खुद भी मीडिया का ज़िम्मेदारी पूरक निर्माण करें. वो सिर्फ मीडिया का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए ही न करें बल्कि ज्ञान अर्जित करने, कुछ नया सीखने के लिए भी करें.
मीडिया निरक्षता खतरनाक :
उन्होंने मीडिया निरक्षरता या मीडिया अज्ञानता के कई नुकसानों पर भी चर्चा की. डॉ. पाठक ने कहा कि- मीडिया निरक्षर व्यक्ति भ्रामक सूचनाओं का शिकार हो सकता है, साइबर अपराधियों की गिरफ्त में आ सकता है, ट्रोलिंग, बुलींग, सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली सांप्रदायिक हिंसा का शिकार होने के साथ साथ सूचना की बमबारी से परेशान हो सकता है.
आज मीडिया साक्षरता योग्यता एवं कौशल की ज़रुरत हमें – तर्कसंगत विचार को बढ़ावा देने के लिए, वैचारिक विविधता के समावेशीकरण के लिए, डिजिटल मीडिया के अल्गोरिथम को समझने के लिए, मीडिया से होने वाले फायदे और नुकसान दोनों का मूल्यांकन करने के लिए, सजग “प्रोज़्यूमर” बनने के लिए, कीवर्ड सर्चिंग को जानने और इसके इस्तेमाल करने के लिए है.
सही समय पर सही सूचना किसी संजीवनी से कम नहीं यह हर व्यक्ति का अधिकार है. मीडिया साक्षरता इसी दिशा में उठाया गया पहला ज़रूरी कदम है. मीडिया साक्षरता कौशल एवं योग्यता मीडिया के समुद्र में हमें कुशल तैराक बनाने में मददगार साबित होती है ।