Turkey का Pakistan प्रेम महंगा पड़ा ! भारत ने की आर्थिक Surgical Strike!

नई दिल्ली 31 मई । तुर्किए (पहले तुर्की) के पाकिस्तान के प्रति लगातार समर्थन और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान उनकी कथित भूमिका के कारण भारत सरकार ने एक बड़ा आर्थिक कदम उठाया है। मोदी सरकार ने देश की प्रमुख एयरलाइन इंडिगो को तुर्किए एयरलाइंस के साथ अपने विमान पट्टा (डैम्प लीज) संबंधों को 31 अगस्त 2025 तक पूरी तरह समाप्त करने का कड़ा निर्देश दिया है। इसे तुर्किए पर भारत की एक और ‘आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक’ के रूप में देखा जा रहा है।

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मुख्य बातें:

* अल्टीमेटम: मोदी सरकार ने इंडिगो को तुर्किए एयरलाइंस से विमान पट्टा संबंध समाप्त करने के लिए 3 महीने का समय दिया है।

* समय सीमा: यह डील 31 अगस्त 2025 तक खत्म करनी होगी।

* कारण: पाकिस्तान के साथ तुर्किए का बढ़ता सहयोग और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान उनका समर्थन इस निर्णय की मुख्य वजह है।

* आर्थिक दबाव: इस कदम को तुर्किए पर राजनयिक और आर्थिक दबाव बनाने की भारत की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

सरकार का कड़ा रुख और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का संदर्भ:

यह निर्णय भारत सरकार के तुर्किए के प्रति बदलते रुख को दर्शाता है, खासकर जब से तुर्किए ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का खुले तौर पर समर्थन किया है और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत विरोधी रुख अपनाया है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के संदर्भ में उनके कथित समर्थन ने भारत को आर्थिक रूप से निर्णायक कदम उठाने पर मजबूर किया है। हालांकि, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में विस्तृत जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन सरकार के इस कदम से स्पष्ट है कि यह मामला भारत की सुरक्षा और हितों के लिए संवेदनशील रहा है।

इंडिगो पर प्रभाव और विकल्प:

इंडिगो एयरलाइंस ने अपनी परिचालन जरूरतों को पूरा करने के लिए तुर्किए एयरलाइंस से डैम्प लीज पर विमान ले रखे थे। डैम्प लीज एक ऐसा समझौता है जिसमें एयरलाइंस चालक दल, रखरखाव और बीमा सहित विमान को किराए पर लेती है। इस निर्देश के बाद, इंडिगो को अब 31 अगस्त 2025 की समय सीमा से पहले वैकल्पिक व्यवस्थाएं करनी होंगी। एयरलाइन को अन्य वैश्विक एयरलाइंस या लीजिंग कंपनियों से विमान लीज पर लेने या अपने बेड़े का विस्तार करने की दिशा में तेजी से काम करना होगा ताकि उसकी उड़ानों और सेवाओं पर कोई प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

राजनयिक निहितार्थ:

विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम तुर्किए के साथ भारत के राजनयिक संबंधों में और अधिक तनाव पैदा करेगा। यह स्पष्ट संदेश है कि भारत अपने रणनीतिक और राष्ट्रीय हितों के खिलाफ किसी भी देश के समर्थन को बर्दाश्त नहीं करेगा और आर्थिक संबंधों का उपयोग राजनयिक दबाव बनाने के लिए कर सकता है। यह ‘आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक’ तुर्किए को अपनी विदेश नीति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है, खासकर पाकिस्तान के संबंध में।

यह देखना दिलचस्प होगा कि तुर्किए इस भारतीय कदम पर क्या प्रतिक्रिया देता है और इंडिगो अपने बेड़े प्रबंधन में क्या बदलाव लाती है।

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